20 वीं सदी में साम्राज्यवाद और उपनिवेश वाद
( Samrajyawad Aur Upniveshwad ) :
दोस्तों ! यहाँ हम जानेंगे की -
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साम्राज्य वाद ( Samrajyawad ) :
जब कोई शक्तिशाली देश किसी अपनी शीमा के बहार के छेत्रों के लोगों के आर्थिक और राजनैतिक जीवन पर अपना शासन नियंत्रण और अधिपत्य जमाता है तो इस व्यव्हार को हि साम्राज्यवाद के नाम से जाना जाता है . शम्रज्य्वाद में शक्तिशाली देशों द्वारा कमजोर देशों का अपने स्वर्थ्वार्थ वश शोसन होता है . इसी को साम्राज्यवाद के नाम से जाना जाता है .
उपनिवेश का क्या अर्थ है ( Upniveshwad Ka Arth ) :
जब कोई शक्तिशाली देश किसी कमजोर देश पर अपना अधिपत्य जमा लेता है या अधिकार प्राप्त कर लेता है और उसक आर्थिक सामाजिक और राजनैतिक शोषण करता है तो वह देश शक्तिशाली देश का उपनिवेश कहलाता है . जैसे की हमारा देश भारत भी स्वतंत्र होने से पहले इंग्लेंड या अंग्रेजों का उपनिवेश था .
खुले द्वार की निति ( Khule Dwar Ki Neeti ) :
संयुक्त राज्य अमेरिका ने खुले द्वार की निति का सुझाव दिया . खुले द्वार की निति के अनुशार समस्त देशों को चीन में किसी भी स्थान पर व्यापर करने की पूरी छुट होनी चाहिए . ब्रिटेन ने संयुक्त राज्य अमेरिका के द्वारा सुझाई गई खुले द्वार की निति का समर्थन किया या इस निति में ब्रिटेन ने अमेरिका क सहयोग दिया .
साम्राज्यवाद के सकारात्मक प्रभाव (Samrajyawad Ke Sakaratmak Prabhaw) :
१. उपनिवेश के लोगो को पश्चिमी सभ्यता संस्कृति और विज्ञान का ज्ञान हुआ .
2. सामान्य साम्राज्य वादी कानूनों का उपनिवेशों लोगो में पालन किया जाने लगा .
३. साम्राज्यवाद के कारन उपनिवेशी देशों में लोग संगठित होने लगे . और वे राजनैतिक संघर्ष के लिए तैयार होने लगे .
४. उपनिवेशी देशों के लोग साम्राज्य वाद के कारन स्वतंत्रता प्राप्ति के स्वप्न देखने लगे.
चीनी खरबूजे का काटा जाना (Chini Kharbuje Ka Katejana) :
1856 इसा में एक पादरी की हत्या के बाद फ़्रांस और ब्रिटेन ने संयुक्त होकर ब्रिटेन को चीन को हराया और अनेक सुविधाए प्राप्त कर लिए . 1857-58 इसा में द्वितीय अफीम युद्ध में अंग्रेजों ने पुनः चीन को हरा दिया . इस प्रकार पराजय वश चीन धीरे धीरे विभिन्न सक्तिशाली देशों (जैसे - इंग्लेंड फ़्रांस , रूस , जर्मनी और जापान ) आदि शक्तिशाली देशो का साम्राज्यवाद के चलते प्रभाव चेत्र में विभाजित हो गया .
बाद में अमेरिका ने सभी देशों को खुले द्वार की निति मानने को विवस कर दिया . इस प्रकार समस्त शक्तिशाली देशों द्वारा चीन का आर्थिक सामाजिक और राजनैतिक शोषण होने लगा . चीन का इन शक्तिशाली देशों के प्रभाव छेत्रों में विभाजित हो जाने को हि चीनी खरबूजे का कतेजाने के नाम से जाना जाता है .
दास व्यापर (Daas Vyapaar ) :
20 वीं सदी में मजदूरों या लोगों क दास व्यापर जोरो शोरों से चलता था . जिसमे महिला पुरुषों और बच्मचो को भेड , बकरियों और सब्जियों की तरह बाजारों में खुले आम बोलियाँ लगाया जाता था और इस प्रकार उनका खरीदी और बिक्री किया जाता था .
दास व्यापार में मजदूरों को खरीदने और बेचने के लिए उन्हें उनके मूल निवाश स्थान विशेष से से उन्हें पकड़ा जाता था और और उनका विभिन्न दास बाजारों के माध्यम से खरीदी बिक्री की या जाता है . पुर्तगालियों ने लिस्बन में एक दास बाजार की स्थापना किया था इसके लिए .
19 वि सदी में चीन में हुए अफीम युद्ध के प्रभाव :
१. चीन एक अंतरास्ट्रीय उपनिवेश बन चूका था . जहाँ पर समस्त सक्तिशाली देशों का कब्ज़ा था .
2. खुले द्वार की निति के चलते सभी देशों को चीन में किसी भी स्थान विशेष पर व्यापर करने की पूरी छुट प्राप्त था .
साम्राज्यवाद का औदद्योगिक क्रांति द्वारा विकास या विस्तार :
१. औद्द्योगिक क्रांति ने साम्राज्यवाद को जन्म दिया . पूंजी पति लोग औद्ध्योगिकर न के कारन अधिक मात्रा में सामानों का उत्पादन करने लगे . जिससे उन्हें बाजारों की आवश्यकता हुई . और वे उत्पादित माल या सामान को अपने देश से बाहर बेचने लगे . यही से साम्राज्यवाद की नीव पड़ी . या साम्राज्यवाद का जन्म हुआ .
2. 19 वि सदी में औदद्योगिक क्रांति के कारन यातायात और संचार साधनों का विकास और विस्तार हुआ . जिससे साम्राज्यवाद का विस्तार सारल हो गया . विभिन्न देशों के बिच माल या सामान धोने का काम भाप के जहाज पुराणी पालदार नौकाओ , की तुलना में तेजी से होने लगा .
३. रेल और जल यातायात का विकाश इसी सदी में हुआ जिसके चलते यूरोप के देश दूर दूर के देशों में अपना तैयार सामान भेजते थे . और वहां से कच्चा सामान मंगवाते थे .
४. कच्चा माल प्राप्त करने के लिए और उत्पादन में वृद्धि करने के लिए शक्तिशाली देश उपनिवेशी देशों की स्थापना करने लगे .
५. सक्तिशाली देशों द्वारा विदेशी देशों की अर्थव्यवस्था को हाथों में लिया जा चूका था .
६. कम पूंजी पर माल तैयार होने लगी . और क्रय शक्ति मजबूत हुई .
शक्तिशाली देशों द्वारा चीन को अंतररास्ट्रीय उपनिवेश बनाने का कारन :
शक्चीतिशाली देशों के द्वारा चीन के उपनिवेश बनाए जाने का कारन यह था की चीन में कच्चे मालों की पर्याप्त भंडार था और चीन का राजनैतिक और सामरिक महत्व अधिक था . इस कारन सभी शक्तिशाली देशों द्वारा चीन को उपनिवेश बनाकर शोषण किया जाता था . जिससे चीन एक अंतररास्ट्रीय उपनिवेश बन गया .
यहाँ आपने जाना :
उपनिवेशवाद क्या है ?
दास व्यापार क्या है ?
खुलेद्वार की निति क्या है ?
चीन को अंतररास्ट्रीय उपनिवेश क्यों बनाया गया ? इसका कारन क्या था ?
साम्राज्यवाद के सकारात्मक प्रभाव क्या है ?
चीनी खरबूजे का कतेजाना क्या है ?
अफ्रिम युद्ध होने से चीन में क्या प्रभाव पडा की जानकारी .
और , साम्राज्यवाद के विकाश के रस्ते पर औद्ध्योगिक क्रांति के प्रभाव .
आशा की यहाँ बताई गई बाते आप जरुर समझ गए होंगे . इसी प्रकार से नित नविन बातों की जानकारी पते रहने के लिए हमारे ब्लॉग या पर विजिट करते रहिए . हम आपके लिए ऐसे हि जानकारी प्रद लेख लाते रहेंगे .
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