दोस्तों!
यह आप बखूबी जानते है की अपराधियों को फासी देने की सजा आदिकाल से चला आ रहा है जो की किसी जघन्य अपराध के लिए दिया जाता है । फासी की सजा मे अपराधियों की जीवन लीला समाप्त कर दिया जाता है ।
ये तो हम सभी जानते है की फासी की सजा हमेशा सूर्योदय से पहले दिया जाता है , लेकिन क्या आपने ये कभी सोचा है की ऐसा क्यो ?
- क्या सूर्योदय के बाद अपराधियो को फासी नहीं दिया जा सकता ?
- फासी देते वक्त अपराधि व्यक्ति के परिजन वहाँ क्यो नहीं होते ?
- फासी देते वक़्त कौन कौन मौजूद होता है ?
- फांसी देने से पहले क्या कहता है जल्लाद ?
दोस्तों ! इस पोस्ट मे आपको इन्ही सवालों के जवाब मिलेगे । इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़िये
फांसी सूर्योदय से पहले दिये जाने की वजहें या कारण :
इसके मुख्य रूप से चार प्रकार के कारण या वजहें है जिसके कारण से अपराधियों को सूर्योदय से पहले फासी की सजा देकर उनका जीवनलीला समाप्त कर दिया जाता है । ये इस प्रकार है -
1) नैतिक वजहें या ( स्वास्थ्य को देखते हुए ) :
ऐसा माना जाता है की अपराधी को दिन भर का इंतज़ार नहीं करना चाहिए. क्यो की इससे उसके दिमाग पर बहुत हीं गहरा असर पड़ता है जिससे उसका स्वास्थ्य खराब हो सकता है या बिगड़ सकता है । जबकि फासी की सजा हमेशा अपराधी की पूर्ण रूप से स्वास्थ्य रहने पर दिया जाता है । इसलिए अपराधी को सुबह उठाकर नित्य क्रिया से नीवृत होकर फांसी के लिए ले जाया जाता है।
2) सामाजिक वजहें
2) सामाजिक वजहें
जिसने बहुत हीं बुरा कर्म किया हो उसे हीं फांसी की सजा दी जाती है, इसलिए समाज में इसका बुरा असर ना हो इस बात को भी ध्यान में रखते हुए, सूर्योदय से पहले हीं फांसी दे दी जाती है.
3) प्रशासनिक वजहें
चुकी अपराधी को फांसी देने से पहले और बाद में कई तरह की प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता है, जैसे मेडिकल टेस्ट, कई जगह नोट्स भेजने होते हैं, कई रजिस्टरों में एंट्री करनी पड़ती है. इन सब प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद शव को उनके परिवारवालों को भी सौंपना रहता है. शायद ये भी एक बड़ा कारण है की सूर्योदय से पहले हीं फांसी दे दी जाती है.
4) जेल के समय सारणी के वजह से :
जेल मे सुबह होते हीं सभी लोग अपने काम में लग जाते हैं. चुकी उसी तरह जेल में भी लोग सुबह अपने कामों में लग जाते हैं, इसलिए भी फांसी की सजा सूर्योदय से पहले दे दी जाती है, जिससे दूसरों पर भी इसका बुरा प्रभाव ना पड़े.
4) जेल के समय सारणी के वजह से :
जेल मे सुबह होते हीं सभी लोग अपने काम में लग जाते हैं. चुकी उसी तरह जेल में भी लोग सुबह अपने कामों में लग जाते हैं, इसलिए भी फांसी की सजा सूर्योदय से पहले दे दी जाती है, जिससे दूसरों पर भी इसका बुरा प्रभाव ना पड़े.
- फासी देते वक़्त कौन कौन मौजूद होता है ?
फांसी देते समय जेल अधीक्षक, एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट और जल्लाद मौजूद रहते हैं. इनके बिना फांसी नहीं दी जाती है.
- फांसी देने से पहले क्या कहता है जल्लाद ?
फांसी देने से पहले अपराधी से उसकी आखरी इच्छा पूछी जाती है. लेकिन उसकी इच्छा जेल मेनुअल के तहत हीं होना चाहिए. फांसी देने से पहले जल्लाद कहता है की मुझे माफ़ कर दिया जाए. हिन्दू भाइयों को राम – राम और मुसलमान भाइयों को सलाम.
फांसी देने के बाद 10 मिनट तक अपराधी को लटके रहने दिया जाता है. उसके बाद डॉक्टरों की टीम ये चेक करती है की कैदी की मौत हुई है या नहीं. मौत की पुष्टि के बाद हीं अपराधी को नीचे उतारा जाता है.
दुनियां भर के ज़्यादातर देश म्रत्युदंड को समाप्त कर चुके हैं. तो वहीँ कुछ समाप्त करने की तैयारी में है. भारत सहित 37 हीं ऐसे देश हैं, जहाँ पिछले कई सालों से फांसी दी जाती रही है. लेकिन भारत में केवल जघन्य अपराध के लिए हीं फांसी की सजा दी जाती है. जबकि अपराधियों को फांसी की सजा देने में चीन सबसे आगे है. वही ईरान में तो फांसी खुल्ले में हीं दे दी आती है.
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