Diffrence between core type transformer and Shell type trasformers, कोर और सैल टाइप ट्रांसफार्मर (परिनामित्र ) के बिच अंतर :

ट्रांसफार्मर(Transformer)/ परिनामित्र एक ऐसा स्थिर विद्युत यन्त्र है ( electric instrument/ machine ) जो ऊर्जा की हानि ( Energy Loss ) किये बिना ही प्रत्यावर्ती वोल्टेज (AC voltage ) को कम या ज्यादा (high या low ) कर सकता है यह (AC -"alternative current ") प्रत्यावर्ती धारा के वोल्टेज को कम ज्यादा करता है इसलिए इस वोल्टेज ( voltage ) को प्रत्यावर्ती वोल्टेज (AC voltage ) कहते है ट्रांसफार्मर (transformer ) धारा की आवर्ती (current Frequency) बिना बदले वोल्टेज (voltage ) को कम ज्यादा करता है

ट्रांसफार्मर का अविष्कार :

ट्रांसफार्मर का अविष्कार "माइकल फैराडे और जोसेफ हेनरी / Michael faraday and josef Henry " द्वारा किया गया है जो की अन्योन्य प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है . . transformer को 1831 में दुनिया को दिखाया . ट्रांसफार्मर को परिणामित्र भी कहा जाता है .

transformer (ट्रांसफार्मर ) में कोई भी moving part नही होता है  ये पूर्याणः स्थिर रहने वाला इलेक्ट्रिकल यन्त्र है .  कोई भी पार्ट हिलता नही है 

ट्रांसफार्मर/ transformer में core बीच में होती है यह laminated steel plates की बनी होती है जो पट्टी types की होती है इन सभी पत्तियों के बीच ( कम से कम ) वायु अन्तराल ( minimum Air Gap) रखा जाता है जिससे भवंर धाराओं को कम किया जा सकते . ट्रांसफार्मर ( transformer ) में कोर (core ) के चारों ओर winding लिपटी होती है
ट्रांसफार्मर / transformer का कार्य सिद्धांत ( working principle of transformer ) 

ट्रांसफार्मर अन्योन्य प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है और अन्योन्य प्रेरण दिष्ट धारा में सम्भव नहीं है इस लिए ट्रांसफार्मर दिष्ट धारा में use नहीं किया जा सकता है

विभिन्न प्रकार के ट्रांसफोर्मर (single phase transformer) / परिनामित्र का वर्गीकरण :

ट्रांसफार्मर ( transformer ) का वर्गीकरण विभिन्न प्रकार से किया जाता है जो की निम्नलिखित है - 

१. बनावट या संरचना के आधार पर transformer का वर्गीकरण 
2. कार्य या वोल्टेज के आधार पर ट्रांसफार्मर का वर्गीकरण 
३. विद्ध्युत सप्लाई के आधार पर ट्रांसफार्मर का वर्गीकरण 
४ . शक्ति या पॉवर ( power ) के आधार पर ट्रांसफार्मर का वर्गीकरण . 
५ . उपयोग के आधार पर ट्रांसफार्मर का वर्गीकरण . 

A.  बनावट के आधार पर विभिन्न प्रकार के सिंगल फेज ट्रांसफार्मरस ( Single Phase transformrs) निम्नलिखित है - 

१. core type transformers ( कोर टाइप transformers ) / परिनामित्र 
2. शैल टाइप परिनामित्र / shell type transformers (ट्रांसफार्मर्स)
३. बैरी टाइप transformers ( berry type transformers ) 

1. Core type transformers ( कोर टाइप ट्रांसफार्मर/ परिनामित्र ) : 

core टाइप ट्रांसफार्मर ( परिनामित्र ) में केवल एक हि मैग्नेटिक सर्किट ( चुम्बकीय परिपथ ) होता है . transformer में विन्डिंग ( winding ) कुछ इस प्रकार होता है की core के बाहरी लिंब ( imb ) primery और secondry ( प्राथमिक और द्वितीयक ) कुंडलन (winding ) से ढंके हुए रहते है . ट्रांसफार्मर ( transformer / परिनामित्र ) की कोर सिलिकॉन स्टील पलटन से बना हुआ होता है . 

स्पस्ट है की core टाइप ट्रांसफार्मरों / परिनामित्र / transformers में वाइंडिंग को ट्रांसफार्मरों के बाहरी कोर (external core ) पर किया जाता है या कोर वाइंडिंग ( winding ) से ढके होते हैं। इसमें "L" आकार के कोर (core ) का प्रयोग करते हैं और कोर ( core ) को आयताकार के रूप में बनाया जाता है। वाइंडिंग का आकार ( structure ) बेलनाकार, अण्डाकार या आयताकार होती है।

2. Shell type transformers ( शैल टाइप ट्रांसफार्मर/ परिनामित्र ) : 

शैल टाइप ट्रांसफार्मर ( shell type transformer ) में तिन भुजाये या limbs होती है . जिसको E type stamming से बनाया जाता है . इस प्रकार के ट्रांसफार्मर ( transformer / परिनामित्र ) की केन्द्रीय भुजा में प्राथमिक और द्वितीयक कुंडलन ( primery और secondry windings ) होती है . इसके प्राइमरी तथा सेकण्ड्री वाइंडिंग को अलग करके सैंडविच की तरह रखा जाता है। इसकी वाइंडिग बाहरी कोर से ढकी होती है। shell टाइप ट्रांसफार्मर के चुम्बिकिय परिपथ में दो प्रकार के मार्ग होते है . इनमें दो चुम्बकीय परिपथ होते हैं। इसलिए इसे शैल टाइप कहते हैं। |

शैल टाइप ट्रांसफार्मर ( shell type transformer / परिनामित्र ) का उपयोग :

 इस transformer का उपयोग कम वोल्टेज और अधिक निर्गत ( low voltage and large output ) के लिए उपयोग किया जाता है . 

3. बैरी टाइप transformers ( berry type transformers ) 

बैरी टाइप transformers ( berry type transformers )  के निर्माण के लिए अनेक core टाइप ट्रांसफार्मर के core को इस प्रकार व्यवस्थित किया जाता है की सभी core मिलकर एक पूर्ण वृत्ताकार वेलन बन जाए और सभी भुजा मिलकर संयुक्त भुजा का रूप ले तो इस प्रकार की core में अनेक चुम्बकीय परिपथ बन जाते है . 

इस प्रकार के ट्रांसफार्मर में अगर विन्डिंग ( windings ) की बात किया जाए तो इस प्रकार के ट्रांसफार्मर में विन्डिंग ( winding ) केन्द्रीय भुजा में हि प्राथमिक और द्वितीयक ( primery और secondry ) कुंडलन किया जाता है  इस प्रकार के ट्रांसफार्मर में primery और secondry ( प्राथमिक और द्वितीयक ) winding ( कुंडलन ) करने में बहुत कठिनाई होती है . इसका core और winding तैयार करना बहुत जटिल कार्य है . 

स्पस्ट है की बैरी टाइप ट्रांसफार्मरों में केवल एक वाइंडिंग होती है पर इसके कोर को इस प्रकार व्यवस्थित किया जाता है कि फ्लक्स प्रवाह के कई रास्ते हो। इसकी वाइंडिंग को बेलनाकार या वृत्ताकार रूप में रखा जाता है। बेर्री टाइप ट्रांसफार्मर ( berry type transformer ) कम मूल्य पर तैयार किए जा सकते है . इस प्रकार के परिनामित्र या ट्रांसफार्मर ( transformer ) का प्रयोग बहुत कम किया जाता है . 

 Diffrence between core type transformer and Shall type trasformers

कोर और सैल टाइप ट्रांसफार्मर के बिच अंतर : 

कोर  और शैल टाइप ट्रांसफार्मर ( परिनामित्र ) के बीच निम्नलिखित प्रमुख अंतर है - 

`
S NParameterCore Type transformerShell type Transformer
1चुम्बकीय परिपथ कोर टाइप ट्रांसफार्मर या परिनामित्र में केवल एक हि चुम्बकीय या मैग्नेटिक परिपथ होता है . सैल टाइप ( Shell type ) ट्रांसफार्मर या परिनामित्र में दो चुम्बकीय परिपथ होता है . 
2कुंडलन (Windings) कोर टाइप ट्रांसफार्मर या परिनामित्र में प्राइमरी और सेकंडरी (द्वितीयक ) विन्डिंग (कुंडलन ) अलग अलग कोर ( Core ) की लिम्बस ( limbs )पर होती है . Shell टाइप ट्रांसफार्मर या परिनामित्र में प्राथमिक और द्वितीयक कुंडलन या windings एक हि limbs पर ( मध्य वाली limbs ) होती है . 
3प्रतिघात कोर टाइप ट्रांसफार्मर या परिनामित्र ( core type transformer ) का प्रतिघात अधिक होता है . शैल ( shell ) टाइप ट्रांसफार्मर / परिनामित्र का प्रतिघात कम ( low ) होता है . 
4मरम्मत कोर टाइप ट्रांसफार्मर / परिनामित्र में प्राथमिक और द्वितीयक कुंडलन अलग अलग limbs पर होने के कारन इनका मरम्मत आसानी से किया जा सकता है . shell टाइप ट्रांसफार्मर / परिनामित्र में पूरी कुंडली core के अन्दर बंद रहती है जिसके कारन shell टाइप ट्रांसफार्मर की मरम्मत में कठिनाई से भरपूर होता है . 
5उपयोग होने का कारन कोर टाइप ट्रांसफार्मर / परिनामित्र / transformer अधिक और कम निर्गत या आउटपुट के लिए अधिक उपयोग किया जाता है .  शेल टाइप transformer / परिनामित्र का उपयोग अधिकांस कम वोल्टेज और अधिक निर्गत या आउटपुट के लिए उपयोग किया जाता है .
6core की लम्बाई कोर (core ) टाइप ट्रांसफार्मर / परिनामित्र में core की औसत लम्बाई shell टाइप ट्रांसफार्मर से अधिक होती है . shell टाइप ट्रांसफार्मर में core की औसत लम्बाई core टाइप ट्रांसफार्मर से कम होती है . 
7दक्षता ( एफिशिएंसी ) core टाइप transformer / ट्रांसफार्मर लो दक्षता अच्छी नहीं होती है shell टाइप transformer / ट्रांसफार्मर की दक्षता core टाइप transformer की दक्षता से अधिक होती है 
8कुंडलन से ढंका हुआ भाग core टाइप ट्रांसफार्मर में core का अधिक भाग प्राथमिक और द्वितीयक कुंडलन से ढंका हुआ रहता है . शैल टाइप ट्रांसफार्मर ( shell type transformer ) में प्राथमिक और द्वितीयक कुंडलन का भाग core से ढंका रहता है . 
9योक (yock) और limbs इसके एक योक और दो limb होती है .
इसके तीन लिम्ब ( limbs ) और दो योक होता है . 
10सर्किट परिपथ का प्रकार यह series या श्रेणी चुम्बकीय परिपथ होता है .  यह समान्तर या ( parallal ) चुम्बकीय परिपथ होता है . 
11वाइंडिंग्स ( windings ) के लिए मटेरियल की मात्रा वाइंडिंग्स के लिए तांबे की अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है।
windings  लिए आवश्यक तांबे की मात्रा कम होती है।
12इन्सुलेट सामग्री की मात्रा
इन्सुलेट सामग्री की कम मात्रा की आवश्यकता होती है।
इन्सुलेट सामग्री की ज्यादा मात्रा की आवश्यकता होती है।
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B . कार्य या वोल्टेज के आधार पर ट्रांसफार्मर का वर्गीकरण :

कार्य या वोल्टेज के आधार पर ट्रांसफार्मर ( परिनामित्र ) दो प्रकार के होते है जो की निम्न लिखित है - 
(1) उच्चायी ट्रांसफार्मर/  स्टेप अप परिनामित्र  (Step-up Transformer)
(2) अपचायी ट्रांसफार्मर/ स्टेप डाउन परिनामित्र  (Step-down Transformer)

1 . उच्चायी टांसफार्मर / स्टेप अप परिनामित्र (Step-up Transformer)—

वह ट्रांसफार्मर ( transformer )  जो प्राथमिक वोल्टेज ( primery ) या current / धारा को बढ़ाकर लोड ( load )/भार की तरफ सप्लाई ( supply )  देता है, स्टेप अप ट्रांसफार्मर या उच्चायी परिनामित्र / ट्रांसफार्मर (transformer ) कहलाता है या दूसरे शब्दों में वह ट्रांसफार्मर ( transformer )  जो निम्न वोल्टेज (low voltage )  या
धारा ( current )  को उच्च वोल्टेज या धारा ( high voltage  या current ) में परिवर्तित करता है, उच्चायी ट्रांसफार्मर ( स्टेप अप transformer ) / परिनामित्र  कहलाता है।''

उच्चाई या स्टेप अप ट्रांसफार्मर का उपयोग एसी supply ( AC supply) voltage को बढाने के काम आता है .  इसमें प्राथमिक कुंडलन को मोटे तारों से बनाई जाती है . जबकि द्वितीयक कुंडली को पतले तारो से बनाई जाती है . प्राथमिक कुंडली को supply के mains से जोड़ा जाता है . प्राथमिक कुंडली में जितना वोल्टेज दिया जाता है द्वित्तियक कुंडली इस वोल्टेज से अधिक प्रदान करता है . 

Transformation Ratio (  परिनमन अनुपात ) ( K) के पदों में ...

माना , प्राथमिक कुंडली के लिए , 
            दिया गया वोल्टेज = Ep ,               टर्न = N ,                  प्रवाहित धारा = Ip      प्रवाहित होती है . 

माना , द्वितीयक कुण्डलन के लिए , 
             सिरों पर voltage = Es ,                 चक्करों की संख्या = Ns ,            प्रवाहित धारा = Is 

इसलिये , प्राथमिक कुंडलन द्वारा लिया गया ऊर्जा = Ep x Ip 
               द्वितीयक कुंडलन द्वारा ली गई उर्जा  = Es x Is 
अतः      प्राथमिक कुंडलन द्वारा ली गई उर्जा  =  द्वितीयक कुंडलन द्वारा लिया गया ऊर्जा 
     = >                               Ep x Ip =  Es x Is 
     =>                                Ip /Is  =  Es / Ep     ............................. (i )
   परन्तु प्राथमिक कुंडलन और द्वितीयक कुंडलन के टर्न की संख्या उनके विभवों की संख्या के समानुपाती होता है अतः , 
  = >                                 Es / Ep =  Ns / Np     .................. (ii )
समीकरण ( i ) और समीकरण (ii ) से , 
           = >  Es / Ep = Ip / Is = Ns / Np = K

जहाँ , K एक नियतांक ( Constant ) है जिसको परिणमन अनुपात कहा जाता है . 

जहाँ परीनमन अनुपात ( K ) का मान निम्न लिखित प्रकार से निकाला जाता है - 
           परिनमन अनुपात ( K) =   transformer की द्वितीयक कुंडलन का वोल्टेज /  ट्रांसफार्मर का प्राथमिक                                                                                                     कुंडलन का वोल्टेज 

स्टेप अप ट्रांसफार्मर ( Step up transformer ) / परिनामित्र के लिए यह आवश्यक है की परिनमन अनुपात ( K ) का मान 1 से ज्यादा हो , तभी वह ट्रांसफार्मर स्टेप up transformer कहलाता है . यदि परिनमन अनुपात (k ) का मान 1 से काम आता है तो transformer स्टेप डाउन ( step down transformer ) होगा . 

2 . अपचायी ट्रांसफार्मर/ स्टेप डाउन परिनामित्र  (Step-down Transformer)—

step down transformer का उपयोग निवेशित वोल्टेज को low voltage में परिवर्तित करने के लिए होता है . इस प्रकार के transformer में प्राथमिक कुंडलन पतले तारों की बनी हुई होती है . जबकि द्वितीयक कुंडलन मोटे तारों से बनी होती है . इसके transformetion Ratio ( अनुपात ) ( K ) का मान 1 से कम होता है . 

  वह ट्रांसफार्मर जो प्राथमिक वोल्टेज या धारा को घटाकर लोड की तरफ सप्लाई देता है, उसे अपचायी ट्रांसफार्मर कहते हैं या दूसरे शब्दों में “वह ट्रांसफार्मर जो उच्च वोल्टेज या धारा को निम्न वोल्टेज या धारा में परिवर्तित करता है, अपचायी ट्रांसफार्मर कहलाता है।

स्टेप down transformer का उपयोग वोल्टेज को कम करने के लिए तथा इलेक्ट्रिक वेल्डिंग में होता है . घरों में भी 220 voltage की supply को GV की supply में बदलने के लिए एलिमिनाटर ( Elimenator ) का उपयोग किया जाता है ये एलिमिनाटर ( Elimenator ) एक step down transformer हि होता है . 

C. विद्युत सप्लाई के आधार पर ट्रांसफार्मर के प्रकार

(Classification of Transformers based on Electrical Supply)

ट्रांसफार्मर ( transformer ) या परिनामित्र को दिए जाने वाले विद्दयुत सप्लाई के आधार पर ट्रांसफार्मर ( transformer ) दो प्रकार के होते है , जो की निम्न लिखित है - 

(1) एकल फेजी (कलीय) ट्रांसफार्मर (Single Phase Transformer)
(2) तीन फेजी (कलीय) ट्रांसफार्मर (Three Phase Transformer)

एकल फेजीट्रांसफार्मर (SinglePhase Transformer)-

सिगल फेज ट्रांसफार्मर वहट्रांसफार्मर है जिसके इनपुट तथा आउटपुटदोनों सिरों पर एकल (single) फेज हो।

 थ्री फेजी टांसफार्मर (Three Phase Transformer)–

त्रिफजा ट्रांसफार्मर वह ट्रांसफार्मर है जिसके इनपट तथा आउटपुट दोनों सिरों पर तीन फेज-तीन चालक या तीन फेज-चार चालक हो।

E . उपयोग के आधार पर परिनामित्र ( ट्रांसफार्मर ) का वर्गीकरण : 

उपयोग के आधार पर ट्रांसफार्मर को विभिन्न प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है जो की निम्न लिखित है - 
१. वितरण परिनामित्र ( डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर ) / Distribution transformer 
2. उपयंत्र परिनामित्र ( Instrument transformer ) / 
३. स्वपरिनामित्र ( ऑटो ट्रांसफार्मर ) / Auto transformer 
४. भट्ठी परिनामित्र ( Furnance Transformers ) 
६ . प्रवर्तक परिनामित्र ( Startor Transformers ) 
7 . वोल्टता नियमन परिनामित्र ( voltage Regulating Transformers ) 
८ . अधिवर्धक परिनामित्र ( Booster Transformers ) / बूस्टर ट्रांसफार्मर 

आइये अब इनके बारे में विस्तार से जानते है . . 

१. वितरण परिनामित्र / डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर ( Distribution transformer ) : 

वितरण परिनामित्र या डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर वे transformer होते है जो की सबस्टेशन पर 6600 v , 11000 v Distribution Voltage को 400 V Standerd Service Voltage तक लाते है . या Transmitiion voltage ( 33,000 V) को  डिस्ट्रीब्यूशन voltage ( Distribution voltage ) तक लाते है . 200 किलोवोल्ट एम्पियर ( KVA ) रेटिंग तक के ट्रांसफार्मर, डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर कहलाते है .

2. उपयंत्र परिनामित्र / इन्स्रुमेंट ट्रांसफार्मर ( Instruments transformer ) : 

उपयंत्र ट्रांसफार्मर वे ट्रांसफार्मर होते है जो की current ट्रांसफार्मर ( धारा transformer )  या पोटेंशियल ट्रांसफार्मर ( विभव transformer ) की तरह होता है 

३. स्व परिनामित्र ( ऑटो ट्रांसफार्मर ) / autotransformer  : 

ऑटो ट्रांसफार्मर ( Auto transformer ) में केवल एक हि प्रकार की कुंडली ( या winding ) होती है जो की primery और secondry दोनो कुन्ड्लनो का कार्य करती है . ये एक परिवर्तनशील ट्रांसफार्मर ( transformer ) होता है . जिसमे उभयनिष्ट कुंडलन ( Comman windings ) स्थित होता है . 

४. भट्ठी परिनामित्र ( Furnance transformer ) : 

भट्ठी परिनामित्र ( furnance transformer ) वे transformer होते है जिनका उपयोग किसी भट्ठी को इलेक्ट्रिक या विद्युत supply देने के लिए किया जाता है . इस ट्रांसफार्मर का प्रमुख उपयोग भट्ठियों को इलेक्ट्रिक supply देने के लिए हि होता है . इस प्रकार के ट्रांसफार्मर के उदहारण - ark  furnance transformer, Induction furnance transformer आदी है . 

5 .प्रवर्तक परिनामित्र ( स्टार्टर ट्रांसफार्मर ) / Startor transformer : 

Strartor transformer वह परिनामित्र होता है जो की AC मोटर के लिए प्रवर्तक या स्टार्टर ( Startor ) का कार्य करता है . स्टार्टर ( Startor ) transformer कहलाता है . 

६. वोल्टेज नियमन ट्रांसफार्मर ( Volatage नियमन ट्रांसफार्मर )   : 

वह ट्रांसफार्मर जो वोल्टेज रेगुलेशन का कार्य करता है वोल्टेज रेगुलेटिंग ( voltage Regulating transformer ) कहलाता है . 

7. अधिवर्धक परिनामित्र ( बूस्टर ट्रांसफार्मर ) / Booster transformer : 

बूस्टर ट्रांसफार्मर / Booster transformer वे ट्रांसफार्मर होते है जो लम्बी ट्रांसमिशन लाइनों में वोल्त्तापात की आपूर्ति ( Companset ) करने के लिए प्रयोग किया जाता है . इस ट्रांसफार्मर की द्वितीयक कुंडलन को Transmition line के श्रेणी या series में कनेक्ट ( जोड़ा ) / Connect किया जाता है . 

ट्रांसफार्मर दक्षता क्या है ? WHAT IS TRANSFORMER EFFICIENCY? Hindi me.

किसी (transformer ) ट्रांसफार्मर की  दक्षता को ज्ञात करने के लिए transformer के " सेकेंडरी coil को प्राप्त उर्जा और प्राइमरी coil को दी उर्जा" का ज्ञान होना बहुत जरुरी होता है . क्यों की इन्ही उर्जाओ के आधार पर हि कीसी transformer की दक्षता की गणना किया जाता है . 

ट्रांसफार्मर "transformer " के secondry coil को प्राप्त उर्जा और transformer के primery coil को दिए गए उर्जाओ के अनुपात को ट्रांसफार्मर की दक्षता कहते है .  यह अनुपात 100 होना चाहिए . अगर ideal transformer की दक्षता की बात किया जाए तो यहाँ पर पर ऐसा नहीं होता इस ट्रांसफार्मर (transformer )  की दक्षता 65 से 90 केमध्य / बीच होती है. 

ट्रांसफार्मर का उपयोग (uses of Transformers ) : 

आज हमारे दैनिक जीवन में electricity या विद्युत् कितना महत्वपूर्ण है ये आप बखूबी जानते है . electricity को आधुनिक काल का प्रमुख अविष्कार के रूप में जाना जाता है . electricity के द्वारा हि सम्पूर्ण मशीन सिस्टम ( machine system ) को उर्जा प्राप्त होता है . हमारा वर्तमान युग आज केवल machine ( मशीनों) पर टिका हुआ है . चाहे किसी भी क्षेत्र हो मशीन का उपयोग हर क्षेत्र में व्यापक रूप से हो रहा है . 

परन्तु मशीनों को चलाने के लिए electricity अति महत्वपूर्ण है . मशीनो को बिजली देने का सिस्टम बड़ा जटिल है . जिसमे कई  प्रकार के इलेक्ट्रिकल प्रोसेस और परिवर्तन होता है . जिसमे इलेक्ट्रिकल एनर्जी generation से लेकर ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन स्टेज होती है . इन सभी स्टेजों में transformer का व्यापक उपयोग किया जाता है , tranasformer का उपयोग generatiing स्टेशन और ट्रांसमिशन लाइन्स (transsmition line ) और डिस्ट्रीब्यूशन line में विभिन्न substations में वोल्टेज को mannage करने के लिए किया जाता है . जिससे elelctricity की सही तरह से आपूर्ति संभव हो सके . 


  1. हमारे दैनिक जीवन में Refrigerators,radio,telephone और T.V में ट्रांसफार्मर का उपयोग होता है
  2. कारखानों में होने वाली welding और विभिन्न प्रकार की furnaces में ट्रांसफार्मर का उपयोग होता है
  3. जहाँ Electric Power बनती है वहां से हमारे घरों में ट्रांसफार्मर से current की प्रबलता कम करके भेजी जाती है
  4. Distribution ट्रांसफार्मर का उपयोग current Distribute करने में होता है

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AUTHOR : MR. SURAJ SINGH JOSHI

Hey, मैं Suraj Singh Joshi " #GKPADHOINDIA " का Educational Author (Founder) हूँ. जहाँ तक मेरे Education का सवाल है, मैं Diploma holder (in electrical engineering), ITI (COPA) और Maths Honours से graduate, हूँ, मुझे शिक्षा से सम्बंधित नॉलेज प्राप्त करना और #GKPADHOINDIA के माध्यम से Educational knowledge अपने प्रियजनों तक पहुँचाना मेरी प्राथमिक रूचि है। इस वेबसाइट को बनाने का उद्देश्य मेरा यह है की मै अपनी वेबसाइट के माध्यम से इन्टरनेट की दुनिया में जरुरतमंदो का कुछ HELP कर पाऊं या उन्हें संतुस्ट कर पाऊं ।कृपया इस वेबसाइट में प्रसारित की जाने वाले पोस्टों और सूचनाओं को जितना हो सके share करें , ताकि ये जानकारियां या सूचनाएं कीसी जरुरतमंद के काम आ जाए ।
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